Wednesday 30 December 2015

मोहब्बत

मोहब्बत कब मिली है किसी को भीख में यहाँ ,
हक़ कुछ ऐसा है ये मेरा,
ना छीना जाता है ना छोड़ा जाता है।

Friday 25 December 2015

Happiness

ख़ुशी है अपनों से खुशी बाँटना ,
ख़ुशी के बंधन में बंधना और बांधना ,
हुनर ये बहुत मुश्किल तो नहीं , 
बस जरुरी है अपने अहम को थामना। 

Wednesday 16 December 2015

कलम

अक्सर शब्द रूठ जाते हैं,
कोशिश में उन्हें मनाने की,
कलम भी मायूस हो जाती है,
देखकर ये ज़िद खोखली। 

कलम समझती है ,
मेरी उत्तेजना ओर बेबसी,
और लिख देती है हर सच कागज पर,
जब-जब कोशिश करता हूँ ,
सच से मुँह मोड़ने की। 

Friday 11 December 2015

Drops of nectar 2

मेरी शख्शियत मेरी चाहत की गुलाम तो नहीं,
तुम चाहो तो अच्छा समझ लो,
वरना बुरी ही सही। 
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कैसी नाराजगी है तुम्हारी जो खत्म होती ही नहीं,
यहाँ जिंदगी खत्म हो रही है माफ़ी मांगते हुए 
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Tuesday 1 December 2015

हार- जीत

यह समर अगर  है  हार - जीत का,
तो मैं किससे जीता किनसे हारा ,
हारा जिनसे कोई अफ़सोस नहीं 
वो जीत गये आगे उनकी इच्छा ,
जीता जिनको उनका रहूँ हमेशा, 
शायद यही है मेरी परीक्षा 

Friday 20 November 2015

Drops of Nectar

माफ़ी नहीं मिलती हर गुनाह की यहाँ ,
कुछ गुनाहों के दाग धुलते हैं,
केवल मृत्यु के साथ। 
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कुछ कहानियाँ हैं,जो रह जाती हैं अधूरी,
चलो सारी उम्र ,ये अधूरापन ही सही। 
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Tuesday 17 November 2015

A drop of nectar


जहाँ स्नेह हो वहाँ अहम नहीं हो सकता,

मैं और तू का वहम नहीं हो सकता..

Saturday 10 October 2015

साधना

चाहता हूँ मन साधना ,
पर मन में भरी है वासना ,
कई आधी -अधूरी कामना ,
कामना की आग में ,
जल रही है आत्मा।
है यही तो वेदना,
विलासिता की चाह में,
मर रही संवेदना।
आवाज देती चेतना ,
नयी राह देती चेतना
मैंने सुनकर भी अनसुना किया ,
फिर वही वासना , फिर वही कामना।
इस चक्र का कोई अन्त है,
या मृत्यु ने है क्रम थामना,
मंथन किया मन का बहुत,
एक ही उत्तर मिला,
मन साध ले कर साधना ,
बस साधना और साधना .... 

Thursday 8 October 2015

परिवर्तन

आत्मा चुप रहती है कई चोट खाकर भी,
व्यथित हो जाती है कभी - कभी ,
ग्लानि के एहसास से ,
अहंकार के भाव से ,
बेबसी या तिरस्कार से ,
पर सम्हल जाती है अगले ही पल 
ये सोचकर ,
कि कुछ भी तो अटल नहीं,
जो आज है वो कल नहीं।  
बस यही तो सार है जीवन का ,
अगर खुशी अनन्त नहीं,
तो दुःख भी अटल नहीं ,
परिवर्तन से बड़ा कोई बल नहीं,
हालात जो आज हैं,
वो कल नहीं। …… 

Sunday 20 September 2015

मृत्यु या मिथक

मृत्यु है ,
अहमियत खो देना,अपनों की निगाह में,
बोझ बनकर जीना,गैर की पनाह में 
मृत्यु है ,
सत्य से मुँह मोड़ना ,
और स्वार्थ की बुनियाद पर ,
रिश्तों की अहमियत तोलना ....

Thursday 17 September 2015

तिरस्कार

"पैसे की प्यासी दुनिया में ,
और हवस भरे इंसानों से ,
प्यार सहज नहीं  मिलता
 इसलिए तिरस्कार अपनाता हूँ,
ऊपर वाला दर्द सुने  मेरा,
इस चाहत में चिल्लाता हूँ ,
ऐ ठोकर मार के जाने वाले,
मैं भी मिट्टी का पुतला हूँ। … "

Monday 14 September 2015

मन वो नहीं जो हारकर , छोड़ दे हर आश को ....

मन वो नहीं जो हारकर ,
छोड़ दे हर आश को ,
पथ है अगर मुश्किल बड़ा ,
तो छोड़ दे विश्वास क्यों  ...
क्यूँ मूँद लूँ आँखे यहाँ ,
जानकर सच झूठ को ,
क्यूँ छल करूँ खुद से यहाँ ,
स्वीकार कर हार को ……
क्यूँ लज्जित करूँ मानव जात को ,
क्यूँ दोष दूँ हालात को,
क्यूँ झुकाये शीश अपना ,
 दोष दूँ मैं भाग्य को ……।  "

Sunday 13 September 2015

आज तू नहीं तो तेरी याद से खुश हूँ....

आज तू नहीं तो तेरी याद से खुश हूँ,
महफ़िल नहीं,तो तन्हा शाम से खुश हूँ,
क्या हुआ जो मेरे हाथ में तेरा हाथ नहीं,
आज हाथ में खाली जाम लिये खुश हूँ 

Saturday 12 September 2015

कर्म

कर्म मेरे,
करते रहे मेरे भाग्य का फैसला,
और मैं समझता रहा,
शायद नाराज है मुझसे मेरा खुदा  

Wednesday 9 September 2015

लिखूं कुछ ऐसा की वो रो पड़े....

"लिखूं कुछ ऐसा की वो रो पड़े,
कलम से लहू बन स्याही गिरे ,
दाग दामन में ना उनके लगे ,
पर कशक उम्र भर उन्हें भी रहे "

Monday 7 September 2015

मिट्टी मैं भी , मिट्टी तू भी मिट्टी से क्या मोह लगाना...

मिट्टी मैं भी , मिट्टी तू भी 
मिट्टी से  क्या मोह लगाना,
तन की प्यास की थाह नहीं 
क्यों पागल मन को रोग लगाना

Friday 28 August 2015

मैं चलना चाहता हूँ थाम कर तेरा हाथ.....

"मैं चलना चाहता हूँ थाम कर तेरा हाथ,
तब तक
जब तक सफर थम न जाये जिंदगी का ,
मैं जानना चाहता हूँ हर वो बात ,
जो निकले तेरी जुबाँ से ,
क्यूँकि मेरी जिंदगी का संगीत
बसता है तेरी कही बातों में.…………
मैं जीना चाहता हूँ तेरी आँखों से आँखे मिला कर ,
तब तक ,
जब तक रोशनी है इनमे ,
क्यूँकि तेरी आँखे दिखाती है आईने सच्चाई के ,
और खूबशूरती भरी है कुदरत की इनमे "

Monday 24 August 2015

देश का दुर्भाग्य

कुछ मसलों पर राजनीतिक दलों में गजब की एकता देखने को मिलती है फिर चाहे वो सांसदों के भत्ते बढ़ाने को लेकर हो या RTI के दायरे से दूर रहने को लेकर हो .… अब भाई हम कितना भी मोदी-केजरी-राहुल के नाम पर धूम मचा लें पर ये सब वही करेंगे जिनसे इनके राजनीतिक हितों की रक्षा होती हो.... सुना है आरक्षण की माँग को लेकर गुजरात में पटेल समाज धरने पर बैठा है , पता नहीं उन्हें आरक्षण मिलेगा या नहीं पर एक बात तो साफ है की आगे ऐसे ही कई और आन्दोलन होंगे तब तक, जब तक या तो सब को अपने हिस्से का आरक्षण ना मिल जाये या आरक्षण खत्म ना हो जाये  ……… आखिर कब तक अंग्रेजों से सीखी हुई "फूट डालो और राज करो" वाली नीति चलेगी …
लोकतंत्र की बहुत बातें होती हैं मेरे देश में पर आज हर राजनेता की विरासत सम्हालने वाला उनके ही परिवार से है , ये उसी पुराने इतिहास की याद दिलाता है जब राजा की रियासत राजकुमार देखता था।  आज हर राजनेता के घर में राजकुमार है और गरीब का बेटा वही गरीबी की परम्परा आगे बढ़ाने को तैयार है। 

Sunday 23 August 2015

रिश्ता कुछ ऐसा है मेरा माँ के साथ, मेरा हर दर्द वो महसूस कर लेती है....

"रिश्ता कुछ ऐसा है मेरा माँ के साथ,
मेरा हर दर्द वो महसूस कर लेती है ,
पास होता हूँ तो आँखें पढ़ लेती है ,
दूर होता हूँ तो मेरी हर परेशानी  ,
बस आवाज से समझ लेती है."

"नासमझ मैं आज भी हूँ ,जानतीं है वो ,
समझाती है प्यार से ,कभी डाँठती है वो ,
मैं अक्सर रूठ जाता हूँ छोटे बच्चे कि तरह ,
माँ मनाती है मुझे आज भी , 
फेर कर सर पे हाथ ,
बिल्कुल बचपन की तरह....... "

Saturday 15 August 2015

ज़िद तेरी भी जलेगी, और राख होगा मेरा गुरुर...


"ज़िद तेरी भी जलेगी,
और राख होगा मेरा गुरुर, 
मंज़िल हमारी एक होगी,
शायद तारीखें कुछ और हों.. "

Friday 14 August 2015

बंजर जमीं आज लहू माँगती है.....

बंजर जमीं आज लहू माँगती है ,
आजादी आज अपनी कीमत माँगती है,
अमन वो भी चाहता था ,
जो सरहद पर शहीद हो गया ,
आज उसकी लाश कफ़न माँगती है ,

बिस्मिल की शायरी ,भगत सिंह का बलिदान याद रहे....


बिस्मिल की शायरी ,भगत सिंह का बलिदान याद रहे,

आज़ाद की सौगन्ध ,विवेकानन्द का ज्ञान याद रहे,
बेशक आजादी हर हिंदुस्तानी का हक़ है आज,
पर हक़ जताने से पहले,शहीदों के सपनों का हिंदुस्तान याद रहे ……

Sunday 8 February 2015

गलतियाँ हो जाती हैं मुझसे, मैं कोई खुदा तो नहीं.....

उम्मीदें मेरी,
मेरे मन का भ्रम,
जो पूरी न हो पायी ,
होती है घुटन ,
शिकायतें मेरी ,
हैं मेरी उलझन ,
ऐसा नहीं इस उलझन से पार नहीं पता ,
पर अतीत मेरा अक्सर ,
एक नए रूप में है लौट आता.…… 
मैं अपने अतीत से जुदा तो नहीं,
गलतियाँ हो जाती हैं मुझसे,
मैं कोई खुदा तो नहीं। …… 
इंसान हूँ,
इंसान होने का फर्ज अदा करता हूँ ,
माँग कर माफ़ी ,
ऊपर वाले का क़र्ज़ अदा करता हूँ। 
माफ़ी मिल भी जाये ,
पर गुनाह तो साथ रहेगा,
मेरे हर कर्म का ,
शायद यहीं हिसाब होगा……

घाव जो थे हरे वक़्त के साथ अनजाने में भरे.......

घाव जो थे हरे 
वक़्त के साथ अनजाने में भरे 
पर एहसास गुनाह के 
लौट आते हैं 
हर अँधेरी रात … 
एक सुगबुगाहट होती है 
हर लम्हे हर घड़ी ,
बीतते वक़्त के साथ 
उम्मीद जगती है माफ़ी की ,
जब -जब सुलगती  है 
गुनाहों की आग....... 

आज माफ़ी मिल जाये ,
 या यूँ ही दिन ढल जाये,
जैसे ढलता है हर रोज,
और फिर वही अफ़सोस,
वही गुनाह का बोझ ,
लेकर चला मैं अपने साथ ,
और इन्ही ख्याल में ,
गुजारी आज की रात…

Monday 26 January 2015

कितना भी दूर जाऊँ , तेरे करीब आ ही जाता हूँ..............


कितना भी दूर जाऊँ ,
तेरे करीब आ ही जाता हूँ, 
कोई तो बात होगी मेरी चाहत में,
जो मुझे तेरे करीब ले आती है। …… 
मैं जिया हूँ मुफलिसी में ,
और कोई इल्म नहीं अमीरी का,
बस ख़यालुं का अमीर हूँ,
बाकी गरीब हूँ पैसे के बोझ का.....

Wednesday 7 January 2015

रोटी सुकून से मिल जाती है, मन बैचैनी का आदी है.....

रोटी सुकून से मिल जाती है,
मन बैचैनी का आदी है,
ये मन मैला है और गन्दा है,
खुदगर्जी में अँधा है

देख व्यथा,करुणा और तिरस्कार,
मेरे मन में जागा है बैर भाव,
अपनी इस गलती पर शर्मिन्दा हूँ,
बेशर्मी के परदे में छिपा हुआ
बेगैरत हूँ , पर जिन्दा हूँ,
इन्सान हूँ ,
गलतियों का पुलिंदा हूँ। …… 

Tuesday 6 January 2015

मैंने अपने ख्वाबों को, बिखरते देखा है बादलों सा...

मैंने अपने ख्वाबों को,
बिखरते देखा है बादलों सा ,
और बरसते हुए पाया ,
जब - जब वो टकराये ,
उनके गुरुर की चट्टान से……
मैंने उन्हें धुला-धुला सा पाया ,
हर बरसात के बाद,
और खिला हुआ पाया,
मुश्किल वक़्त गुजरने के साथ..........
ये ख्वाब मेरे , रहते हैं साथ मेरे,
चलते हैं,बिखरते हैं पर ठहरते नहीं ,
झुलसते हैं, बरसते हैं ,
पर झुकते नहीं,
मुझे गम नहीं इनके टूट जाने का,
पर गवारा नहीं झुकना इनका .......

Saturday 3 January 2015

कोई ख्वाब तूने भी सिरहाने छिपाया होगा....

कोई ख्वाब तूने भी सिरहाने छिपाया होगा,
एक राज तूने भी सबसे छिपाया होगा ,
याद तो तुझे भी होगा वो चेहरा,
जिसने तुझे  हंसने का हुनर सिखाया होगा .......

तेरी आँखों की चमक ने ,
रोशन किया होगा उसके मन का हर कोना ,
कभी उसकी बेरुखी ने तुझे रुलाया भी होगा ,
याद आज भी करता होगा वो तुझे,
तेरी बेफिक्र हँसी को उसने भुलाया न  होगा
एक सच उसने भी छिपाया होगा ,
शायद अपनी जिंदगी का स्याह पहलू न दिखाया होगा ,
आज वो दूर है तुझसे,
और शायद याद भी न करता हो तुझे ,
पर यकीं मान मेरा ,
तुझे चाह कर उसने किसी और को न चाहा होगा

Thursday 1 January 2015

तुम सिर्फ चेहरा देखकर कोई ख्वाब पाल लेते हो.......

तुम सिर्फ चेहरा देखकर
कोई ख्वाब पाल लेते हो ,
और बिना सच जाने ,
किसी को भी गुनेहगार मान लेते हो।
माना चेहरा आईना होता है इंसान का,
पर आईने भी झूठ बोलते हैं ,
ये तुम भी मानते हो.…
आईने छिपा देते हैं सच्चाई ,
एक चेहरे के पीछे की ,
और दिखाते हैं हर वो झूठ ,
जो तलाशना चाहते हैं हम ,
गहराई में उस चेहरे की। …
 शायद हम डरते हैं ,
करीब जाने से,,
अनजाने चेहरो को अपनाने से ,
कोई रूठे तो मानाने से,
या खुद को आजमाने से .......