अजनबी का सफर, अजनबी से अजनबी तक........
Monday, 26 January 2015
कितना भी दूर जाऊँ , तेरे करीब आ ही जाता हूँ..............
कितना भी दूर जाऊँ ,
तेरे करीब आ ही जाता हूँ,
कोई तो बात होगी मेरी चाहत में,
जो मुझे तेरे करीब ले आती है। ……
मैं जिया हूँ मुफलिसी में ,
और कोई इल्म नहीं अमीरी का,
बस ख़यालुं का अमीर हूँ,
बाकी गरीब हूँ पैसे के बोझ का.....
2 comments:
Harshita Joshi
26 January 2015 at 19:06
वाह...........कितना भी दूर जाऊँ तेरे करीब आ ही जाता हूँ
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Yogesh Joshi
26 January 2015 at 21:35
Thank You... :)
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वाह...........कितना भी दूर जाऊँ तेरे करीब आ ही जाता हूँ
ReplyDeleteThank You... :)
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