उम्मीदें मेरी,
मेरे मन का भ्रम,
जो पूरी न हो पायी ,
होती है घुटन ,
शिकायतें मेरी ,
हैं मेरी उलझन ,
ऐसा नहीं इस उलझन से पार नहीं पता ,
पर अतीत मेरा अक्सर ,
एक नए रूप में है लौट आता.……
मैं अपने अतीत से जुदा तो नहीं,
गलतियाँ हो जाती हैं मुझसे,
मैं कोई खुदा तो नहीं। ……
इंसान हूँ,
इंसान होने का फर्ज अदा करता हूँ ,
माँग कर माफ़ी ,
ऊपर वाले का क़र्ज़ अदा करता हूँ।
माफ़ी मिल भी जाये ,
पर गुनाह तो साथ रहेगा,
मेरे हर कर्म का ,
शायद यहीं हिसाब होगा……