Friday 28 August 2015

मैं चलना चाहता हूँ थाम कर तेरा हाथ.....

"मैं चलना चाहता हूँ थाम कर तेरा हाथ,
तब तक
जब तक सफर थम न जाये जिंदगी का ,
मैं जानना चाहता हूँ हर वो बात ,
जो निकले तेरी जुबाँ से ,
क्यूँकि मेरी जिंदगी का संगीत
बसता है तेरी कही बातों में.…………
मैं जीना चाहता हूँ तेरी आँखों से आँखे मिला कर ,
तब तक ,
जब तक रोशनी है इनमे ,
क्यूँकि तेरी आँखे दिखाती है आईने सच्चाई के ,
और खूबशूरती भरी है कुदरत की इनमे "

Monday 24 August 2015

देश का दुर्भाग्य

कुछ मसलों पर राजनीतिक दलों में गजब की एकता देखने को मिलती है फिर चाहे वो सांसदों के भत्ते बढ़ाने को लेकर हो या RTI के दायरे से दूर रहने को लेकर हो .… अब भाई हम कितना भी मोदी-केजरी-राहुल के नाम पर धूम मचा लें पर ये सब वही करेंगे जिनसे इनके राजनीतिक हितों की रक्षा होती हो.... सुना है आरक्षण की माँग को लेकर गुजरात में पटेल समाज धरने पर बैठा है , पता नहीं उन्हें आरक्षण मिलेगा या नहीं पर एक बात तो साफ है की आगे ऐसे ही कई और आन्दोलन होंगे तब तक, जब तक या तो सब को अपने हिस्से का आरक्षण ना मिल जाये या आरक्षण खत्म ना हो जाये  ……… आखिर कब तक अंग्रेजों से सीखी हुई "फूट डालो और राज करो" वाली नीति चलेगी …
लोकतंत्र की बहुत बातें होती हैं मेरे देश में पर आज हर राजनेता की विरासत सम्हालने वाला उनके ही परिवार से है , ये उसी पुराने इतिहास की याद दिलाता है जब राजा की रियासत राजकुमार देखता था।  आज हर राजनेता के घर में राजकुमार है और गरीब का बेटा वही गरीबी की परम्परा आगे बढ़ाने को तैयार है। 

Sunday 23 August 2015

रिश्ता कुछ ऐसा है मेरा माँ के साथ, मेरा हर दर्द वो महसूस कर लेती है....

"रिश्ता कुछ ऐसा है मेरा माँ के साथ,
मेरा हर दर्द वो महसूस कर लेती है ,
पास होता हूँ तो आँखें पढ़ लेती है ,
दूर होता हूँ तो मेरी हर परेशानी  ,
बस आवाज से समझ लेती है."

"नासमझ मैं आज भी हूँ ,जानतीं है वो ,
समझाती है प्यार से ,कभी डाँठती है वो ,
मैं अक्सर रूठ जाता हूँ छोटे बच्चे कि तरह ,
माँ मनाती है मुझे आज भी , 
फेर कर सर पे हाथ ,
बिल्कुल बचपन की तरह....... "

Saturday 15 August 2015

ज़िद तेरी भी जलेगी, और राख होगा मेरा गुरुर...


"ज़िद तेरी भी जलेगी,
और राख होगा मेरा गुरुर, 
मंज़िल हमारी एक होगी,
शायद तारीखें कुछ और हों.. "

Friday 14 August 2015

बंजर जमीं आज लहू माँगती है.....

बंजर जमीं आज लहू माँगती है ,
आजादी आज अपनी कीमत माँगती है,
अमन वो भी चाहता था ,
जो सरहद पर शहीद हो गया ,
आज उसकी लाश कफ़न माँगती है ,

बिस्मिल की शायरी ,भगत सिंह का बलिदान याद रहे....


बिस्मिल की शायरी ,भगत सिंह का बलिदान याद रहे,

आज़ाद की सौगन्ध ,विवेकानन्द का ज्ञान याद रहे,
बेशक आजादी हर हिंदुस्तानी का हक़ है आज,
पर हक़ जताने से पहले,शहीदों के सपनों का हिंदुस्तान याद रहे ……