Tuesday 2 December 2014

खामोश रहना ही भला, जब जोर न कोई चला...

खामोश रहना ही भला,
जब जोर कोई चला,
आँखों से बहते नीर को,
दामन जो तेरा ना  मिला......
आरजू जो थी खुदा से ,
आह बनकर रह गयी,
तेरे साथ चलने की गुजारिश ,.
प्यास बनकर रह गयी....
उम्मीद की थी एक किरण ,
बादलों में जो घुल गयी ,
बारिश तो जोरों से हुई,
पर प्यास मेरी ना बुझी......

उम्मीद जो टूटने लगे,
तो आरजू  करता दिल ,
और हर आरजू होगी पूरी ,
उम्मीद करता है नादान  दिल

हर शख्श की आँखूं में , खौफ की तस्वीर है............

हर शख्श की आँखूं में ,
खौफ की तस्वीर है,
हर किसी को शिकायत यहाँ,
कैसी मेरी तकदीर है......
भीड़ में तन्हा सभी ,
और तन्हाई में शोर है,
हँसी में भी दर्द इतना,
दिल तेरा झकझोर दे........
हर दिल में हैं रंजिश भरी,
और नफ़रतें भी कम नहीं,
लोग मिलते हैं गले,
पर दूरियाँ मिटती नही....
जो दूरियाँ तय करने चले,
तो उम्र ही ढल जाएगी ,
एकतरफा कोशिश मेरी,
फासलों से हार जायेंगी.... :)