खामोश रहना ही
भला,
जब जोर न
कोई चला,
आँखों से बहते
नीर को,
दामन जो तेरा
ना मिला......
आरजू जो थी
खुदा से ,
आह बनकर रह
गयी,
तेरे साथ चलने
की गुजारिश ,.
प्यास बनकर रह
गयी....
उम्मीद की थी
एक किरण ,
बादलों में जो
घुल गयी ,
बारिश तो जोरों
से हुई,
पर प्यास मेरी ना
बुझी......
उम्मीद जो टूटने
लगे,
तो आरजू करता
दिल ,
और हर आरजू
होगी पूरी ,
उम्मीद करता है
नादान दिल