Tuesday, 2 December 2014

खामोश रहना ही भला, जब जोर न कोई चला...

खामोश रहना ही भला,
जब जोर कोई चला,
आँखों से बहते नीर को,
दामन जो तेरा ना  मिला......
आरजू जो थी खुदा से ,
आह बनकर रह गयी,
तेरे साथ चलने की गुजारिश ,.
प्यास बनकर रह गयी....
उम्मीद की थी एक किरण ,
बादलों में जो घुल गयी ,
बारिश तो जोरों से हुई,
पर प्यास मेरी ना बुझी......

उम्मीद जो टूटने लगे,
तो आरजू  करता दिल ,
और हर आरजू होगी पूरी ,
उम्मीद करता है नादान  दिल

4 comments:

  1. खामोश रहना ही भला,
    जब जोर न कोई चला,
    आँखों से बहते नीर को,
    दामन जो तेरा ना मिला......
    आरजू जो थी खुदा से ,
    आह बनकर रह गयी,
    तेरे साथ चलने की गुजारिश ,.
    प्यास बनकर रह गयी....
    उम्मीद की थी एक किरण ,
    बादलों में जो घुल गयी ,
    बारिश तो जोरों से हुई,
    पर प्यास मेरी ना बुझी......
    बढ़िया

    ReplyDelete