इस रूह को एक दिन
हर सवाल से आजाद हो जाना है ,
हर दर्द को बन कर राख ,
मिट्टी में मिल जाना है ,
या बन कर धुआँ ,
आसमां तक बिखर जाना है. ……
बंदिशों से मन की ,
बेड़ियों से अपने अहम की ,
मैंने भी आजाद हो जाना है
लम्बा है सफर ,
छोड़ने से पहले जीवन का रण ,
बहुत दूर तक जाना है ,
मेरी रूह को एक दिन
हर सवाल से आजाद हो जाना है ………
बंदिशों से मन की ,
ReplyDeleteबेड़ियों से अपने अहम की ,
मैंने भी आजाद हो जाना है
लम्बा है सफर ,
छोड़ने से पहले जीवन का रण ,
बहुत दूर तक जाना है ,
मेरी रूह को एक दिन
हर सवाल से आजाद हो जाना है …
एकदम बढ़िया
Thank you sir.... :)
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