Thursday, 27 November 2014

इस रूह को एक दिन हर सवाल से आजाद हो जाना है.......

इस रूह को एक दिन 
हर सवाल से आजाद हो जाना है ,
हर दर्द को बन कर राख ,
मिट्टी में मिल जाना है ,
या बन कर  धुआँ ,
आसमां तक बिखर जाना है. ……

बंदिशों से मन की ,
बेड़ियों से अपने अहम की ,
मैंने भी आजाद हो जाना है 
लम्बा है सफर ,
छोड़ने से पहले जीवन का रण ,
बहुत दूर तक जाना है ,
मेरी रूह को एक दिन
हर सवाल से आजाद हो जाना है ………

2 comments:

  1. बंदिशों से मन की ,
    बेड़ियों से अपने अहम की ,
    मैंने भी आजाद हो जाना है
    लम्बा है सफर ,
    छोड़ने से पहले जीवन का रण ,
    बहुत दूर तक जाना है ,
    मेरी रूह को एक दिन
    हर सवाल से आजाद हो जाना है …
    एकदम बढ़िया

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