Sunday, 30 November 2014

रंगमंच पर इस दुनिया के ...........

ओढ़े हुए चोले,
अलग अलग रंग के,
 रंगमंच पर इस दुनिया के ,
हम एहसास दिलाते हैं ऊपर वाले को,
हमारी अदायगी में कोई खोट नहीं,
हम जीते हैं अपना चरित्र ,
पूरी शिद्दत के साथ ,
मोहब्बत करते हैं बगावत के साथ,
और करते हैं नफरत शरारत के साथ
 बस एक शिकायत है इस कहानी में ,
ताउम्र हम जीते रहते हैं एक ही किरदार ,
निकलकर बाहर उस चरित्र से ,
न करते है सवाल, न तलासते हैं जवाब
जरुरी सिर्फ अपना किरदार निभाना नहीं,
जरुरी है निकलकर बाहर एक दायरे से,
समझना हर कलाकार को ,
कभी जीना उनके जज्बात को,
कभी समझना उनके हालात को,
समझना सार इस रंगमंच का,
और बाँटना वो ज्ञान ,
आने वाले हर कलाकार के साथ,
क्या पता खत्म होती कहानी के साथ
कब खत्म हो जाये अपने किरदार की माँग,
और बस चन्द किरदारूँ तक ,
सिमट कर रह जाये मेरा ज्ञान..... :)  

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