अजनबी का सफर, अजनबी से अजनबी तक........
Tuesday, 21 October 2014
जब कभी जिक्र आता है महफ़िल में तेरा...
"जब कभी जिक्र आता है महफ़िल में तेरा,
मैं ओढ़ लेता हूँ ,
चादर ख़ामोशी की ,
दलदल यादों का,
पुरानी बातों का ,
आकर्षित करता है अपनी ओर मुझे,
मैं अक्सर डूबता जाता हूँ गहराई में,
कोशिश में बाहर निकलने की……"
2 comments:
Saru Singhal
11 December 2014 at 06:25
Kya baat hai! Behad sundar!
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Yogesh Joshi
23 December 2014 at 22:51
Thank you Ma'am .. :)
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Kya baat hai! Behad sundar!
ReplyDeleteThank you Ma'am .. :)
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