कमी तेरी,बनकर नमी,
प्यासे मेरे मन की धरती को ,
करती है सराबोर ,
और दाग मेरे गुनाहों के,
धुल जाते हैं कभी-कभी।
कमी तेरी ,होकर भी अधूरापन ,
करती है मुझे पूरा,
भर कर जीवन का सूनापन।
कमी तेरी कोई कमी नहीं,
है ऐसे रंगों की दुनिया ,
जिससे मैंने रंगा है,
अपने ख्वाबों का आसमाँ,
और हकीकत की जमीन।